परंपरा
- 39 Posts
- 853 Comments
रिझाने के दिन आ गए ।
लुभाने के दिन आ गए ।।
पांच साल में लगी आग ।
बुझाने के दिन आ गए ।।
आपके जख्मों पर मरहम।
लगाने के दिन आ गए ।।
पलकों पर मियां आपको ।
बैठाने के दिन आ गए ।।
आपसे हमें प्यार कितना ।
जताने के दिन आ गए ।।
गांवों की पगडंडियों पर ।
बतियाने के दिन आ गए ।।
चेहरा दिखा कर ये दिल ।
जलाने के दिन आ गए ।।
भूल चुके वादों की याद ।
दिलाने के दिन आ गए ।।
ठंडे पडे मुद़दों को फिर ।
उठाने के दिन आ गए ।।
गली-गली घूमकर तमाशा ।
दिखाने के दिन आ गए ।।
दोनों हाथों से यारों पैसा ।
लुटाने के दिन आ गए।।
जो जिद पर अडे हैं उनको ।
धमकाने के दिन आ गए ।।
दुश्मनों के साथ खिचडी ।
पकाने के दिन आ गए ।।
मात देने के लिए गोटियां ।
बिछाने के दिन आ गए।।
इस महासमर में परचम।
लहराने के दिन आ गए ।।
इस बार न करना गलती ।
सिखाने के दिन आ गए ।।
Read Comments