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…धमकाने के दिन आ गए

परंपरा
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रिझाने के दिन आ गए ।

लुभाने के दिन आ गए ।।

पांच साल में लगी आग ।

बुझाने के दिन आ गए ।।

आपके जख्‍मों पर मरहम।

लगाने के दिन आ गए ।।

पलकों पर मियां आपको ।
बैठाने के दिन आ गए ।।

आपसे हमें प्‍यार कितना ।

जताने के दिन आ गए ।।

गांवों की पगडंडियों पर ।
बतियाने के दिन आ गए ।।

चेहरा दिखा कर ये दिल ।

जलाने के दिन आ गए ।।

भूल चुके वादों की याद ।
दिलाने के दिन आ गए ।।

ठंडे पडे मुद़दों को फिर ।

उठाने के दिन आ गए ।।

गली-गली घूमकर तमाशा ।
दिखाने के दिन आ गए ।।

दोनों हाथों से यारों पैसा ।
लुटाने के दिन आ गए।।

जो जिद पर अडे हैं उनको ।

धमकाने के दिन आ गए ।।

दुश्‍मनों के साथ खिचडी ।
पकाने के दिन आ गए ।।

मात देने के लिए गोटियां ।

बिछाने के दिन आ गए।।

इस महासमर में परचम।
लहराने के दिन आ गए ।।

इस बार न करना गलती ।

सिखाने के दिन आ गए ।।

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