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आज सुबह से ही शर्मा जी परेशान थे। जब से दफ्तर आये ,सोच में ही डूबे हुए थे। न तो किसी से बात की और न ही कोई कामकाज, बस कागज पर न जाने क्या गुणा भाग कर रहे थे । यह देखकर मुझसे रहा नहीं गया। सकुचाते हुए आखिर पूछ ही लिया- शर्मा जी , क्या मामला है ? क्या आज भाभी जी से कहासुनी हो गयी,जो इतना परेशान हो?
मेेरा इतना कहना था कि उनके मन में भरा गुबार फूट ही पड़ा। बोले रस्तोगी जी , मै तो शुरू से ही कहता था कि
बच्चों का एडमीशन किसी अच्छे हिंदी मीडियम स्कूल में या किसी सरस्वती शिशु मंदिर में करवा दो लेकिन तुम्हारी भाभी ने मेरी एक न सुनी । मजबूरी में दोनों बच्चों का एडमीशन मुहल्ले के पास ही खुले एक साधारण पब्लिक स्कूल में करवाना पड़ा। अभी तक तो ठीक चल रहा था । अब बढ़ती महंगाई से जहां गृहस्थी चलाने में नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं वहीं बच्चों की पढ़ाई ने तो इस महीने कमर ही तोड़ दी । पब्लिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाना अब आसान नहीं रहा है। यहां तो दो घूंट पानी तक के पैसे वसूले जा रहे हैं। कुछ भी मुफ्त नहीं है। हर सुविधा मुहैया कराने के लिए रुपये लिए जाते हैं। महंगाई का रोना रोकर भवन मरम्मत, पानी, पंखा आदि संसाधनों के नाम पर हर साल सालाना फीस में बढ़ोत्तरी कर दी जाती है। कोर्स भी बदल कर निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें लगा दी जाती हैं। यही नहीं गैर जरूरी किताबें भी कोर्स में लगा दी जाती हैं। ये किताबें स्कूलों से खास दुकान पर मिलती हैं जहां किताबों के साथ-साथ मनमाने दामों पर कापियां भी खरीदनी पड़ती हैं। यही नहीं इस साल फिर ड्रेस का रंग बदल दिया।
बेटा आठवीं में आ गया और बेटी नवीं में। कल ही बेटे की कापी- किताबें ,जूते – मोजे ,ड्रेस खरीदने बाजार गया था। घर लौटा तो हिसाब जोड़ कर चक्कर आ गये। तीन हजार की तो किताबें ही आ गयीं। किताबें भी कम नहीं चौबीस थीं । छह सौ की कापियां और पांच सौ रुपये का बस्ता। जूते-मोजे खरीदे तो चार सौ रुपये खर्च हो गये। लंचबाक्स ,कलर, पानी की बोतल, पेन- पेंसिल आदि में दो सौ रुपये तो दो जोड़ी ड्रेस में छह सौ रुपये खर्च हो गये। स्कूल की फीस तीन हजार रुपये बैंक में जमा करनी रह गयी है। उसी का जुगाड़ लगा रहा हंू।
अभी बेटी का मामला रह गया है। इतना खर्च देख कर मै तो अब यही सोच रहा हूं कि नवीं में उसका एडमीशन यूपी बोर्ड के किसी स्कूल में करवा दूं। पहले ही लोन ले रखा है अब रुपयों का इंतजाम कैसे होगा और घर का बाकी खर्चा ?????
## डा. मनोज रस्तोगी
मुरादाबाद
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