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गुहार छात्रोँ की

परंपरा
परंपरा
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।।।।।।।।।। पहले ।।।।।।।।।।

तन – मन से सेवा करूंगा गुरु जी
शिष्य अपना मुझे बना लीजिए
रहूंगा जीवन भर आपका आभारी
बस ज्ञान  मुझको दे दीजिए
नगर से भिक्षा मैँ लेकर आउंगा
हवन के लिए लाउंगा समिधा भी
रहूंगा छत्रछाया मेँ सदैव आपकी
बस शिष्य अपना मुझे बना लीजिए

।।।।।।।।।। अब ।।।।।।।।।।

रुपयोँ का भोग लगाउंगा गुरु जी
बस पेपर आउट करवा देना
बढ़िया सा गिफ्ट लेकर आउंगा
नकल का इंतजाम करवा देना
राशन की दुकान से राशन ला दूंगा
अगली क्लास मेँ जब आउंगा
तो गुरु जी ट्यूशन भी पढ़ लूंगा
जब किसी से कोई पंगा हो जाए
तो फोन इस चेले को कर देना
अबकी एग्जाम मेँ बस गुरु जी
पास मुझको प्लीज कर देना

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