परंपरा
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झुर्रीमय चेहरा
जर्जर काया लिए
एक महिला
मंदिर के द्वार की
सीढ़ियोँ पर
बैठी थी
उसका बच्चा
उसके सूखे स्तनोँ को
चूस रहा था
केवल दूध की दो बूंदोँ के लिए
उधर
मंदिर के उस द्वार से
लोग जा रहे थे
महिला का तिरस्कार करते हुए
शिवलिँग पर
दूध अर्पित कर रहे थे
ईश्वर के प्रति
अपार भक्ति दर्शा रहे थे
इंसान को ठुकरा
प्रणाम
भगवान को कर रहे थे
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